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ब्रेन ट्यूमर: लक्षण, प्रकार और उपचार (Brain Tumor: Symptoms, Types and Treatment)

विश्वभर में ब्रेन ट्यूमर के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य पोर्टल के अनुसार, दुनिया भर में रोज़ाना 500 से ज्यादा नए मामलों में ब्रेन ट्यूमर का पता चलता है। इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ कैंसर रजिस्ट्रीज़ की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हर साल ब्रेन ट्यूमर के 28 हजार से ज्यादा मामले सामने आते हैं। डॉक्टर्स का कहना है कि ब्रेन ट्यूमर लंबे समय तक रेडिएशन के संपर्क में रहने से होता है। ब्रेन ट्यूमर क्या है? ट्यूमर क्या है? इसके उपचार, प्रकार इन सभी बिंदुओं पर इस आर्टिकल के जरिए आज हम बात करेंगे। चलिए सबसे पहले है कि ट्यूमर क्या है?

क्या होता है ट्यूमर? (What is Brain Tumor)

मनुष्य के शरीर में बहुत-सी कोशिकाएं होती हैं, यह कोशिकाएं निरंतर बनती रहती है। जब कभी-कभी ये कोशिकाएं बनना बंद हो जाती हैं, तब वह गांठ का रूप ले लेती है। इसी स्थिति को ट्यूमर कहा जाता है।

ब्रेन ट्यूमर क्या है? (Brain Tumor: What is it)

यह कहना गलत नहीं होगा कि ब्रेन ट्यूमर बहुत ही तकलीफदेय बीमारी है। इस बीमारी में मरीज को सर दर्द काफी तेज होता है। उल्टी महसूस होती है। इस तरह के लक्षण जरूरी नहीं हैं कि यह ब्रेन ट्यूमर ही हैं। माइग्रेन का दर्द भी कुछ इस प्रकार से ही होता है। जरूरी है कि सही वक्त पर डॉक्टर से मिलकर यह पता कर लें कि सर दर्द का असली कारण क्या है?..

ब्रेन ट्यूमर को मेडिकल टर्म में एक्सप्लेन करें, तो हमारे ब्रेन में बहुत सारी कोशिकाएं होती है। और जब ब्रेन में असमान्य कोशिकाओं की वृद्धि होने लगती है, तो इसे ब्रेन ट्यूमर कहते है। इस बीमारी के बारे में ज्यादा जानकारी न होने की वजह से मरीज और उसके करीबी बहुत जल्दी घबरा जाते हैं। उनका मानना होता है कि मरीज अब ज्यादा दिनों तक जीवित नहीं रहेगा, लेकिन सच कुछ और ही है।

ट्यूमर के प्रकार (Types of Tumor)

ट्यूमर 2 प्रकार के होते है। एक जो कैंसर है, जिसे Malignant tumor कहते है। दूसरा Benign tumor, जिसे सर्जरी से निकाला जा सकता है।

ब्रेन ट्यूमर के लक्षण (Symptoms of Brain Tumor)

नीचे दिए गए लक्षण ब्रेन ट्यूमर के हो सकते है:-

1. तेज और लगातार सर दर्द होना
2. चक्कर आना
3. उल्टी आना
4. दिखाई देने में समस्या होना जैसे- डबल विजन, कभी-कभी धुंधला दिखाई देना आदि
5. हाथ-पैर का सुन्न पड़ना
6. पर्सनालिटी डिसऑर्डर
7. बातों को सुनने और समझने में कठिनाई होना।
8. बेहोशी, शरीर में अकड़न
9. थकान महसूस होना
10. कभी-कभी शरीर में अकड़न होना

यह सारे लक्षण जरूरी नहीं है कि ब्रेन ट्यूमर के ही हो, मगर सावधानी बहुत जरूरी होती है। जब भी आपको यह लक्षण दिखाई दें, तो सबसे पहले अपने डॉक्टर से कंस्लट कर लें। हम परेशानी बढ़ने से पहले ही अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहकर अपना जीवन सुखी और स्वास्थ्य बना सकते हैं।

यह जितने भी लक्षण सर दर्द, चक्कर आना आदि बहुत सी परिस्थिति में हो सकते है। यदि ऊपर बताए गए सारे लक्षण ही आपके अंदर दिखाई दे रहे हैं, तो बिना देर किए जल्द-से-जल्द डॉक्टर से संपर्क करें और अपनी पूरी मेडिकल हिस्ट्री के साथ जो भी जरूरी जांच हो जरूर करवाएं। बता दें, ब्रेन ट्यूमर एक ऐसी बीमारी है, जिसके लक्षण तुरंत दिखाई नहीं देते हैं। कभी-कभी इन लक्षणों के दिखाई देने में कुछ महीनों, तो कभी साल भी लग सकते हैं।

देरी करना जान पर पड़ सकता है भारी (If Too Late, Can Take a Heavy Toll on Health)

ब्रेन ट्यूमर एक ऐसी बीमारी है, जिससे मरीज को बहुत ही तकलीफ से गुजरना पड़ता है। यदि समय पर इसका इलाज नहीं हो तो बहुत बार ऐसा भी होता है कि यह बीमारी कैंसर का रूप ले लेती है।

ब्रेन ट्यूमर के इन लक्षणों पर दें ज्यादा ध्यान (Be Careful About These Symptoms of Brain Tumor)

ब्रेन ट्यूमर के लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि ट्यूमर ब्रेन के किस हिस्से में हैं और किस प्रकार का है। फिर भी इसके लक्षणों में कुछ बातें ध्यान देना योग्य हैं:-

1. सर दर्द हमेशा सुबह ही होगा।
2. सर दर्द इस लेवल पर होगा कि किसी भी मेडिसन से कंट्रोल होना उस वक्त के लिए नामूनकिन होगा।
3. किसी-किसी मरीज में देखने की समस्या हो सकती है। जैसे- धुंधला दिखना, आंखों से एक ही पिक्चर डबल दिखाई देना आदि।
4. चलने-फिरने में परेशानी होना।
5. अचानक एक हाथ-पैर काम करना बंद कर देता है। लकवा की स्थिति आ जाती है।
6. थकान महसूस करना, चक्कर आते रहना, हमेशा मतली आना, उल्टी महसूस होना।
7. कभी-कभी वजन का ज्यादा बढ़ जाना या फिर एकदम से वजन का घट जाना।
8. यदि महिलाओं की बात करें, तो उनको नियमित माहवारी का न आना।
9. कभी-कभी मिर्गी के दौरे आना स्ट्रोक का आना भी एक लक्षण हो सकता है।
10. बच्चों में भी यह लक्षण कुछ ऐसे ही होते है।

ब्रेन ट्यूमर के प्रकार (Types of Brain Tumor)

यह मुख्यता: 2 प्रकार के होते है:-

1. मेलिगनेंट ट्यूमर

2. बिनाइन ट्यूमर

इन दो प्रकार के अलावा भी ब्रेन ट्यूमर के स्टेज होते हैं, जिन्हें आगे क्लासीफाइड किया जाएगा।

1. मेलिगनेंट ट्यूमर (Malignant Tumor)

इन्हें कैंसर ट्यूमर भी कहा जाता है। पहले के टाइम में इसका इलाज संभव नहीं था, लेकिन आज की डेवलप मेडिकल साइंस में इस टाइप के ट्यूमर का इलाज संभव है। जरूरत पड़ने पर ऑपरेशन करके इस ट्यूमर को निकाला जा सकता है। इस टाइप के ट्यूमर को पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता है। इसके लिए कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी करने के बाद मरीज की आयु बढ़ाई जा सकती है।

2. बिनाइन ट्यूमर (Benign Tumor)

इस ट्यूमर को पूरी तरह से निकाला जा सकता है। एक बार निकालने के बाद ट्यूमर बनना बंद हो जाता है। बिनाइन ट्यूमर को ऑपरेट करना आसान होता है और एक बार निकालने के बाद फिर दोबारा टयूमर नहीं बनता है। ट्यूमर बनना पूरी तरह से रूक जाता हैं।

इन दोनों के अलावा भी ट्यूमर के कुछ अन्य प्रकार होते हैं:-

प्राइमरी ब्रेन ट्यूमर (Primary Brain Tumor)

यह ब्रेन ट्यूमर ब्रेन के अंदर के स्ट्रेक्चर से उत्पन्न होता है। जैसे ब्रेन की झिल्ली।

ब्रेन के अंदर से उत्पन्न होने वाले ट्यूमर (tumor developing from within the brain)

ब्रेन के अंदर ब्रेन सेल्स में होने वाले ट्यूमर को ग्लियोमा, एपेंडिमोमा ट्यूमर कहते हैं।

कुछ अलग प्रकार के ट्यूमर:- (certain different types of tumor)

इसको मेटास्टैटिक ब्रेन ट्यूमर कहते हैं। यहां शरीर के अन्य भागों से उत्पन्न होते हैं और फैलते हुए ब्रेन के अंदर आ जाते है।

Note- ट्यूमर का इलाज उसकी पॉजिशन और स्टेज पर निर्भर करता है। ट्यूमर कहां से उत्पन्न हुआ है किस जगह पर है। इन सबका इलाज जांच के बाद ही संभव है।

बच्चों में ब्रेन ट्यूमर:- (Childhood Brain Tumor)

बच्चों में ब्रेन ट्यूमर होता है, लेकिन यह बड़े लोगों और बुजुर्गों से काफी अलग होता है। बच्चों में ब्रेन ट्यूमर एवं उनका इलाज और मरीजों से पूरी तरह से अलग होता है।

बच्चों में होने वाले ब्रेन ट्यूमर के प्रकार (Types of Childhood Brain Tumor)

बच्चों में ब्रेन ट्यूमर अक्सर उनके जन्म के साथ ही होता है। जन्म से बनने वाले सेल्स का न बनना या फिर मरकर इकट्ठा होना सेल्स की वजह से होता है।

ब्रेन ट्यूमर के लिए कराएं यह जांच (These Tests for Brain Tumor)

आपको ब्रेन ट्यूमर है या नहीं इस बारे में जानने के लिए आप M.R.I करा सकते है। बता दें, M.R.I में एक-एक चीज क्लियर हो जाती है कि ट्यूमर ब्रेन के किन हिस्सों में है। इसके अलावा आप डॉक्टर से सलाह करके C.T Scan, एंजियोग्राफी, PET Scan, Spect Scan आदि करा सकते है।

कभी-कभी मरीज को धुंधला दिखाई देता है या फिर डबल विजन हो तो इसके लिए Fundus Examination भी कराया जा सकता है।

Note:- अलग-अलग लक्षण के लिए अलग-अलग प्रकार की जांच की आवश्यकता होती है। सभी ब्रेन ट्यूमर के मरीज की जांच एवं उपचार एक जैसे नहीं होते है।

ब्रेन ट्यूमर का उपचार (Treatment for Brain Tumor)

जैसे ही यह पता चले की मरीज को ब्रेन ट्यूमर हैं, तो उसका इलाज करना भी किसी चैलेंज से कम नहीं होता है। सबसे पहले तो डॉक्टर के लिए यह जानना आवश्यक होता है कि यह ट्यूमर ब्रेन के किस हिस्से में है। यह बिनाइन है या फिर मेलिगनेंट है। इसके आधार पर ही इसका उपचार किया जाता है।

सुनने की क्षमता में आती है कमी (Impaired Hearing Capacity)

जो ट्यूमर बाहर की तरफ होता है, मतलब ब्रेन की झिल्ली के ऊपर या फिर कुछ ट्यूमर सुनाई देने वाली नसों के ऊपर होते है। इसमें मरीज को एक कान से सुनाई नहीं देता या एक तरफ से सुन नहीं पाता है। कभी-कभी ऐसी स्थिति में मरीज को मशीन की आवाज या घंटियों की आवाज आती है। उसको चलने में दिक्कत होती है। लहरा कर चलना इस तरह के ट्यूमर का जांच के बाद पता लगता है कि यह एकॉस्टिक ट्यूमर है।

इस तरह के ट्यूमर को पूरी तरह से निकालना संभव होता है। एक बार इस प्रकार का ट्यूमर निकल जाने के बाद मरीज पूरी तरह से ठीक हो जाता है।

गहराई में उत्पन्न हो रहे ट्यूमर का इलाज असंभव (There is Little to No Treatment for Tumor Developing Within the Brain)

जो ट्यूमर ब्रेन के सेल्स से और गहराई में उत्पन्न होते है। ऐसे हिस्सें में जहां से व्यक्ति का कोई अंग कार्य करता है, तो डॉक्टर इस प्रकार के ट्यूमर को छोड़ देते है। इसका साफ है कि इस प्रकार के ट्यूमर का इलाज असंभव है।

कभी-कभी डॉक्टर्स मरीज की पूरी स्थिति की जांच करके ऐसे हिस्सों के भी ट्यूमर को जितना हो सकता है उतना निकालने की कोशिश करते हैं। उसके बाद रेडियोथेरेपी से मरीज को जितना हो सके उतना बीमारी से उबारने की कोशिश की जाती है।

आजकल रेडियोथेरेपी बहुत एडवांस लेवल पर है। इसके हम हाई रेडिएशन देकर सिर्फ ट्यूमर को ही हार्म पहुंचाते है। ब्रेन को कोई हार्म नहीं पहुंचता है।

कई तकनीकों से कर सकते है ट्यूमर को ठीक (Techniques for Tumor Treatment)

इस प्रकार बहुत अलग-अलग टेक्निक्स का यूज़ करके हम ट्यूमर को ठीक कर सकते है। जैसे- GAMMA KNIFE SURGERY, Linear Accelerator यह सब रेडियोथेरेपी के ही प्रकार है। इस थेरेपी से ब्रेन ट्यूमर को हम बहुत हद तक कंट्रोल कर सकते है।

1. कीमोथेरेपी (Chemotherapy)

ब्रेन ट्यूमर को ठीक करने का एक तरीका कीमोथेरेपी भी है। इस थेरेपी से ब्रेन ट्यूमर को कंट्रोल किया जा सकता है।

2. रिहैबिलिटेशन थेरेपी (Rehabilitation Therapy)

यह प्रक्रिया मरीज पर ब्रेन ट्यूमर से ठीक होने के बाद की जाती है। कभी-कभी ट्यूमर उस जगह होता है, जहां से मरीज बोलता है, उसको उबारने के लिए स्पीच थेरेपी दी जाती है।

इस प्रकार हम कह सकते है कि ब्रेन ट्यूमर का आज के समय में इलाज बहुत हद तक संभव है। मरीज की स्थिति, लक्षण के अनुसार उसका उपचार संभव हो सकता है।

ब्रेन ट्यूमर के दौरान कौन-सी दवा लें (Medicines to Take With Treatment)

ब्रेन ट्यूमर के मरीज डॉक्टर से संपर्क करके Temozolomide 100 mg capsule ले सकते है।

Note:- यह कैप्सूल ब्रेन ट्यूमर के मरीजों को दिया जाता है, मगर ध्यान दे इस कैप्सूल का यूज बीना डॉक्टर के परामर्श के बिल्कुल भी ना लें।

दवा लेने का तरीका:- (Steps to Take This Medicine)

यह कैप्सूल लेने का सबसे अच्छा तरीका है कि इसे रोज़ाना एक ही समय पर खाली पेट लें। जैसे कि आपने आज सुबह 5 बजे ली है, तो कल सुबह 5 बजे लेना होगा। मगर इसे और किस तरह से लिया जा सकता है, इसके लिए आप डॉक्टर को परामर्श अवश्य लें।

दवा के साइड इफेक्ट (Side Effects of This Medicine)

1. इस दवा से उल्टी, मतली आना, कब्ज, सिर दर्द, थकान आदि इस प्रकार की तमाम समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

2. यह दवा आपके खून में ब्लड सेल्स को कम कर देती है, जिसके कारण धीरे-धीरे इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है।

सावधानी (Precautions)

इस दवा से इलाज के दौरान किडनी, लीवर और हार्ट फंक्शन के साथ-साथ रेगुलर ब्लड टेस्ट कराने की जरूरत होती है। बता दें, कि इस दवा को लेने से पहले पूरी सच्चाई अपने स्वास्थ्य से संबंधित अपने डॉक्टर को बताएं। यदि आप किसी हार्मोनल या फिर संवदेनशीलता से परेशान हैं, तो यह दवाई बिना डॉक्टर के परामर्श के बिल्कुल भी न लें।

निष्कर्ष (Conclusion)

ब्रेन ट्यूमर से बचने के उपाय (How to Take Care of Brain Tumor)

इसके कई फेक्ट्स है। जैसे:-

यदि हम सभी लोग अपने जीवन को स्वास्थ्य और समृद्ध चाहते हैं तो रोजमर्रा की दिनचर्या पर ध्यान देना होगा। खान-पान में सावधानी बहुत आवश्यक है पैकेट बंद खाना, फास्ट फूड, जंक फूड आदि यह सभी हमारे सेल्स पर बहुत दुष्टप्रभाव डालते है। समय पर सोना, जागना बहुत आवश्यक है।

ध्यान देने योग्य कुछ बातें:- (Be Careful With These Points)

सबसे पहले तो मरीज को पॉजिटिव रहना चाहिए। इस बीमारी से लड़ने के लिए मरीज का परिवार और उसके मित्र उसका सहयोग कर सकते है। कई रिसर्च में बताया गया है कि यदि व्यक्ति इतनी बढ़ी बीमारी से ग्रस्ति क्यों न हो, मगर वह अपनी जीवन में काफी पॉजिटिव रहता है और अपने जीवन को पॉजिटिव नज़रिए से देखता है, तो वह बड़ी से बड़ी बीमारी से लड़ सकता है।