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फेफड़ों का कैंसर: फेफड़ों का कैंसर क्यों होता है? लक्षण, प्रकार और उपचार

आज के मॉर्डन समय में हमारी जरूरत की सारी चीज़ें एविलेवल है। यही कारण है कि हम सभी कहीं-न-कहीं जिंदगी जीने का सही तरीका भूलते जा रहे हैं। हम अपनी डेली रूटीन की जरूरतों को पूरा करने के लिए जितना ज्यादा संघर्ष करते हैं, उतना ही अपने हेल्थ को इग्नोर कर रहे है। एक सर्वे के अनुसार विश्वभर में लगभग 65% से भी ज्यादा लोग किसी-न-किसी दवाई का सेवन डेली लाइफ में कर रहे हैं। बहुत से लोग गंभीर बीमारियों से ग्रस्ति हैं। बता दें, बीमारियों को *डाग्नोलाइस्ड* करने में जितनी ज्यादा मॉर्डन टेक्नोलॉजी डेवलोप हुई है, उतनी ही उन्हें ठीक करने में बीमारियां पैर पसार रही हैं।

आज हम यहां फेफड़ों के कैंसर, लक्षण, उपाय और उपचार की बात करेंगे। साथ ही हम इसके बचाव के साथ-साथ इससे किस प्रकार रिकवरी की जा सकती है इस बारे में भी बात करेंगे। बता दें, नवंबर का महीना फेफड़ों के कैंसर अवेयरनेस मंथ के रूप में मनाया जाता है। लंग्स कैंसर एक ऐसी बीमारी हैं, जो बहुत तेजी से बढ़ रही है और ये बीमारी लार्ज नंबर ऑफ डेड के लिए भी रिस्पोस्विल है।

फेफड़ों का कैंसर

फेफड़ों का कैंसर एक ऐसी बीमारी हैं, जिसमें से 85-90% मरीजों को बीमारी का पता तब चलता है, जब बीमारी पूरी तरह से पैर पसार लेती है। कहने का मतलब है कि इस बीमारी को शुरुआत में *डाइग्नोलाइड* करना मुश्किल हैं। बता दें, शरीर की कोशिकाओं का नियंत्रण से बाहर होना ही कैंसर कहलाता है। ठीक इसी प्रकार से जब यह कोशिकाएं फेफड़ों में ज्यादा बढ़ जाती है और मांस के रूप में इक्ट्ठी हो जाती है, तो उसे ही फेफड़ों का कैंसर कहते हैं।

फेफड़ों के कैंसर के प्रकार

यह मुख्यतः 2 प्रकार के होते हैं:-

1. Non small cell Lung cancer (NSCLC)

2. Small cell Lung cancer (SCLC)

1. Non small cell Lung cancer (NSCLC)

इस टाइप के कैंसर को भी चार स्टेजों में बांटा गया हैं।

स्टेज 1- इसमें बीमारी छोटी होती है और एक ही फेफड़ें में रूकी हुई होती है।

स्टेज 2- इसमें भी बीमारी एक ही फेफड़ें में रूकी होती है। मगर इसका साइज 3Cm से ज्यादा होता है।

स्टेज 3- इसमें बीमारी का साइज 7cm से ज्यादा होता है और यह फेफड़ों के लिम्फ नोड्स को भी इन्वाल्व करती हैं।

स्टेज 4- इसमें बीमारी या तो दूसरे फेफड़ें तक फैल चुकी होती है या फिर फेफड़ों में पानी को इन्वाल्व कर चुकी होती है। या फेफड़ों के अलावा दूसरे आर्गन में इन्वाल्व हो चुकी होती है।

फेफड़ों का कैंसर क्यों होता है?

वैसे तो फेफड़ों के कैंसर के कई कारण हैं, जैसे- ज्यादा तंबाकू, गुटखा, सिगरेट आदि का सेवन करना। हम सभी जानते है कि सिगरेट या बीड़ी पीने का सीधा ही इनवोल्मेंट फेफड़ों से होता हैं। मगर 5 से 7 सालों में कुछ ऐसे मरीज भी देखे गए हैं, जिनमें वायु प्रदूषण की वजह से लंग्स कैंसर डाइग्नोज़ हुआ है।

इस प्रकार से हम कह सकते है कि लंग्स कैंसर का मुख्य कारण स्मोकिंग और वायु प्रदूषण होता है। यदि हम इतिहास की बात करें, तो जब कारखाने नहीं थे, उस समय लंग्स कैंसर जैसी कोई बीमारी नहीं थी। ज्यादा स्मोक और कारखानों के बाद ही यह बीमारी बढ़ी है। आने वाले 5 से 10 सालों में ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि लंग्स कैंसर का ग्राफ और तेजी से बढ़ेगा।

फेफड़ों के कैंसर के लक्षण

लंग्स कैंसर के लक्षण कई प्रकार के हो सकते है। जिसमें से 5 से 10% मामलों में कोई भी लक्षण नहीं दिखाई देते है। कई बार तो मरीज को यह तक नहीं पता होता कि उसे किसी प्रकार की कोई गंभीर बीमारी भी है। मरीज किसी भी कारण से चेस्ट का एक्स-रे या सीटी स्कैन कराता है, तब पता चलता है कि उसे बीमारी है। इस प्रकार के कैंसर के असिसमेटिक कहते है।

... लक्षण दिखाई

इसे हम मूलत: 3 भाग में बांट सकते है।

1. लंग्स में कैंसर होने की वजह से होते है।

2. लोकल चेस्ट में फैलने से होते है।

3. लंग्स कैंसर शरीर के दूसरे किसी हिस्से में फैल गया हो।

*सबसे पहले वाले लक्षण में जब लंग्स के अंदर एक ... डेपलप होता है कि कोई बाहर की चीज है, तो खांसी आने लगती है। खांसी के साथ-साथ खून भी आने लगता है। साथ ही साथ सांस फूलने लगती है। यदि कैंसर चेस्ट के कई हिस्सों में होता है, तो पेंशेंट को लोकल पेन भी होने लगता है। इसके साथ ही कुछ जनरल ...... भी होते है। जैसे- भूख न लगना, वजन कम होना, थकान-सी रहना, बुखार रहना आदि। जब कैंसर लोकल... होता है चेस्ट के अंदर तो कभी-कभी चेस्ट में पानी भर जाता है। जिसके हम ..... कहते है। जिसकी वजह से वहां पैन होने लगता है, जहां ट्यूमर होता है और पानी भरने से सांस फूलने लगती है। हमारे चेस्ट में दोनों तरफ कुछ नर्वस होती है, जो कि हमारे वोइस को कंट्रोल करती है। ज्यादातर लेफ्ट साइड में और कभी-कभी राइट साइड में... यदि वो ट्यूमर इनवो... कर लें, तो हमारी अवाज इफेक्ट होती है। कभी-कभी अवाज बदल जाती है या बंद भी हो सकती है। जिसका .. ऑफ वाइस कहते है। इसी प्रकार से यदि यह ट्यूमर हमारी सांस की नली या खाने की नली को .... है, तो खाने में दिक्कत हो सकती है। या फिर सांस लेने में दिक्कत होने लगती हैं।** 

यदि कैंसर लोकल हिस्से से शरीर के दूसरे हिस्से में फैल जाए तो इसके लक्षण कुछ इस प्रकार होते है:-

1. यदि यह ब्रेन में चला गया है, तो उल्टी, सरदर्द होना शुरू हो जाता है। या फिर देखने में दिक्कत होने लगती है।

2. किसी भी प्रकार का ट्यूमर शरीर के किसी भी हिस्से में हो तो उस जगह शिवियर पेन होता है।

इस प्रकार हम कह सकते है कि इसके प्रमुख लक्षण खांसी आना, खांसी से खून आना, सांस फूलना, सीने में दर्द होना, वजन कम होना, थकान रहना आदि।

लंग्स कैंसर के उपचार

इसका उपचार 3 टाइप्स से किया जा सकता है।

1. सर्जरी-: इसमें लंग्स में जो..... हिस्सा है, उसे निकालकर बाहर करते है।

2. सिस्टिमक थेरेपी (कीमो थेरेपी, टारगेट थेरेपी, इम्यूनो थेरेपी) इस थेरेपी में नसों में इंजेक्शन या फिर दवाई दी जाती है।

3. रेडियोथेरेपी:- इसमें किरणों के द्वारा ट्रीटमेंट किया जा सकता है, जिसमें ..... ट्यूमर में जाकर उसे .... करती है।

यह तीनों तरीकों से ट्रीटमेंट तब किया जाता है, जब ट्यूमर शुरुआती स्टेज में होता है। मगर इस उपचार से पहले कुछ टेस्ट कराने पड़ते है। उन टेस्ट को डॉक्टर डिसाइड करते हैं, कि मरीज का कैंसर किस स्टेज में है और किस प्रकार से उसका इलाज हो सकता है।

कई मामले ऐसे भी होते है, जिनमें पहले एक्स-रे और उसके बाद सीटी स्कैन करवाया जाता है। कंफर्म होने के बाद बाई.. करवाई जाती है। फिर डॉक्टर को यदि जरूरत लगती हैं, तो वह कुछ प्री चेकअप कराते है।

*कैंसर कंफॉम होते हैं, जो तीन स्टेप उपचार बताएं गए है। उसमें कौन-सा करना है। ये डॉक्टर डिसाइड करके बताते है।*

1. सर्जरी

इसमें मरीज और मरीज के परिजनों के मन में काफी सवाल होते हैं, कि यह सर्जरी कैसी होगी। मतलब कि ओपन, लेजर या फिर ... है। तो इसका सीधा जवाब है कि यह ओपन सर्जरी है। इस दौरान सीने में कट लगाते है और मांसपेशियों को पसलियों से अलग करके हाथ डालने के बराबर की जगह बनाते है और फिर हाथ को फेफड़ों में डालकर उसे ऑपरेट करते है। इस प्रक्रिया से ऑपरेशन तो सक्सेसफुल हो जाता है, मगर जब पसलियों को अलग करते हैं, तब बहुत बार ऐसा होता है कि पसलिया फ्रेक्चर हो जाती है, जिससे मरीज को काफी चोट आ जाती है, जिसकी वजह से मरीज की रिक्वरी में टाइम लगता है।

2. सिस्टिमक थेरेपी (कीमोथेरेपी, टारगेट थेरेपी, इम्यूनों थेरेपी)

यह थेरेपी मरीज को ठीक करने की सबसे महत्वपूर्ण थेरेपी होती है। बता दें, सर्जरी की जरूरत तब होती है, जब कैंसर लंग्स के अंदर हो और एक ही जगह पर हो और सर्जरी से ट्यूमर को बाहर किया जा सकें, मगर यदि कैंसर शरीर के दूसरे हिस्से में फैल जाए, तब इसके लिए एक ऐसे ट्रीटमेंट की जरूरत होती है, जो कि शरीर में सर से लेकर पैर तक ब्लड के ... जाए और फिर ट्रिट किया जा सके। ऐसी स्थिति में बॉडी में कहीं भी कैंसर सेल्स बन रहे है, तो इस थेरेपी से वह खत्म हो जाते है। बता दें, इस ट्रीटमेंट को नसों में दिया जाता है। आज की डेट में बहुत से  ......... होते हैं, तो बहुत सी ऐसी दवाएं हैं, जो कि कैंसर सेल्स के मॉलीक्यूल को टारगेट करती है। इसे ही टारगेट थेरेपी भी कहते है।

इम्यून थेरेपी में कुछ टेस्ट करके मरीज के इम्यून सिस्टम को बढ़ाने के लिए दवाईयां दी जाती है, जिससे मरीज का इम्यून सिस्टम बढ़ने लगे।

नोट:- इम्यून थेरेपी, टारगेट थेरेपी, कीमोथेरेपी यह तीनों ही सिस्टमेटिक थेरेपी में ही आती है। इसके यूज एडवांस लोकल ...... प्रकार के कैंसर को ठीक करने के लिए किया जाता है। इस प्रकार का ट्रीटमेंट सर्जरी और रेडियोथेरेपी के साथ भी कर सकते है या फिर डॉक्टर चाहे तो वह अकेले भी कर सकते है

3. रेडियोथरेपी

इस प्रकार के ट्रीटमेंट में मरीज को क्यूर करने के लिए रेडिएशन दिए जाते है। सर्जरी से *लोकलाइड* कैंसर निकाला जाता है, जोकि कीमोथेरेपी से फैल चुका होता है। उन्हें क्यूर करते है और रेडिएशन थेरेपी का यूज तब करते है, जब कैंसर लंग्स के किसी हिस्से में हो और वह लंग्स के बाहर भी फैल रहा हो, तब सर्जरी करने की कंडीशन बनती है और रेडिएशन थेरेपी करनी होती है। *कई बार मरीज अनफिट होता है, तो सर्जरी के लिए बहुत से रिजन्स की वजह से उस कंडीशन में रेडिएशन थेरेपी दी जाती है।* 

एसपीआरटी यह एक नई तकनीक हैं, जो कि छोटे ट्यूमर के लिए यूज की जाती है।

नोट:- मल्टी.... ट्यूमर ......:-

इन सभी ट्रीटमेंट में मरीज को कौन-सा ट्रीटमेंट क्यूर करना है। यह ... डॉक्टर की टीम होती है, जिसमें .......... ये सब मिलकर तय करते है कि मरीज को कौन-सा ट्रीटमेंट देना है।

लंग कैंसर के बाद जीवन

जैसे ही मरीज की बॉडी में यह डाइग्नोस होता है कि उसे फेफड़े का कैंसर है, तब ही परिजनों में तनाव का माहौल बन जाता है कि शायद अब उसका जीवन जीना संभव ही नहीं है, लेकिन यह सोच अब सच्चाई से काफी परे हो गई है। आज से लगभग 10 से 15 साल पहले कैंसर क्यूर करना आसान नहीं था, मगर अब कैंसर यदि फस्ट स्टेज में ही डाइग्नोस हो जाएं, तो ट्रीटमेंट देकर क्यूर किया जा सकता है। यदि ऐसा नहीं भी होता है कि मरीज का लास्ट स्टेज में भी कैंसर डाइग्नोज हो तो भी बहुत सी तकनीक है, *जैसे रेडियोथेरेपी, रेवो....... इस से बहुत से टेक्नोलॉजी है, जिससे कैंसर को क्यूर किया जा सकता है* और आगे की लाइफ को पूरी तरह से हेल्दी एंड हैप्पी जिया जा सकता है।

फेफड़ों के कैंसर में लें यह दवाई

*pirfenidone 200mg tablet एक एंटीफिब्रोटिक एजेंट है। इसका यूज फेफड़ों की बीमारी के हल्के मामलों का इलाज करने के लिए किया जाता है, जिसे इडियोपैथिक फुपसीय फाइब्रोसिस कहा जाता है।* इस दवाई को बीना डॉक्टर के सुक्षाव के नहीं लेना चाहिए। यदि आप इस दवाई का प्रयोग कर रहे हैं, तो आप एक बार डॉक्टर परामर्श जरूर कर लें। इस दवाई के कुछ साइडफेक्ट्स भी है। जैसे- मांसपेशियों में दर्द, ... आना, चक्कर आना, भूख कम होना, उल्टी आना, स्किन रेशेस और लालिमा आना आदि। यदि किसी प्रकार की एलर्जी है, तो इस दवा को लेने से पहले डॉक्टर को अपनी पूरी मेडिकल हिस्ट्री बताएं।

यह है दवा लेना का सही तरीका

*इडियोपैथिक फुफ... फाइबेसिस* के इलाज के लिए वयस्कों में सामान्य खुराक 19 दिनों की ड्यूरेशन में 267 *मिग्राम* या तीन बार ...... यानि 8 से 14 दिनों से 534 मिलिग्राम है।* 

*pirfenidone 200mg tablet के साइड इफेक्ट्स*

1. मलती

2.उल्टी

3. सिरदर्द

4. रेशेस

5. चक्कर आना

6. नींद न आना

7. भूख की कमी

8. जोड़ों में दर्द

9. दस्त

10. वजन कम होना

11. अपच

12. साइनस

निष्कर्ष

लंग्स कैंसर हो या फिर कोई भी बीमारी हो, उसका सीधा कारण हमारी लाइफ स्टाइल ही होती है। मगर कुछ ऐसे केसेस भी होते हैं, जिनमें फेमिली हिस्ट्री भी जिम्मेदार होती है। यदि हम अपनी दिनचर्या ठीक रखे तो शायद ही कोई परेशानी आए। मगर आज के फास्ट टाइम हर कोई शॉर्ट कट लेना चाहते हैं और इस शॉर्ट कट के चक्कर में हम अपनी लाइफ को खतरे में डाल रहे है।